Sant Ravidas Jayanti 2022(गुर रविदास जयंती 2022): हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष संत रविदास जयंती 16 फरवरी 2022, बुधवार के दिन है। संत रविदास को गुरु रविदास, रैदास व रोहिदास के नाम से भी जाना जाता है। संत रविदास के जन्म को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि गुरु रविदास का जन्म सन् 1398 ई. में हुआ था। वहीं कुछ जानकार बताते हैं कि इनका जन्म सन् 1450 ई. में हुआ था। जानकारों का कहना है कि गुरु रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।
गुरु रविदास कौन थे ? संत रविदास के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी-
गुरु रविदास
संत रविदास भक्ति आंदोलन के एक कवि-संत थे। संत रविदास एक समाज सुधारक और आध्यात्मिक संत थे।उन्होंने जाति और लैंगिक भेद-भाव के सामाजिक विभाजन को हटाने पर भी बल दिया।आपने 15वीं 16वीं शताब्दी के बीच रविदासिया पंथ की स्थापना की। उनका उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के क्षेत्र में एक गुरु के रूप में सम्मान है। हिंदू धर्म मे दादूपंथी परंपरा के पंच वाणी पाठ में गुरु रविदास की लिखी कविताओं को भी शामिल किया जाता है।
- गुरु रविदास ने भारतीय संस्कृति विशेषकर उत्तर भारत समाज मे विशेष प्रभाव छोड़ा है।
- भारतीय समाज से जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रयासों के लिए संत रविदास को जाना जाता है।
- गुरु रविदास संत कबीरदास के समकालीन थे, ऐसा माना जाता है की श्री कृष्ण भक्त माँ मीराबाई उनकी शिष्या थीं।
- रविदासिया पंथ का अनुसरण करने वालों में रविदास जयंती का एक विशेष महत्व है।
- उन्हें सिख धर्म में भी विशेष महत्व मिलता है, संत गुरु रविदास की 40 कविताएँ सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ में शामिल हैं।
प्रारंभिक जीवन
संत रविदास जी को रैदास के नाम से भी जाना जाता है। जानकारों का मानना है की उनका जन्म वाराणसी के पास उत्तर प्रदेश के सीर गोवर्धनपुर गाँव में हुआ था। उनके जन्मस्थान को श्री गुरु रविदास जन्म स्थान कहा जाता है।
भक्ति आंदोलन
यह आस्तिक भक्ति प्रवृत्ति है। ऐसा माना जाता है कि भारत मे हुए इस आंदोलन ने बाद में सिख धर्म की स्थापना में एक वास्तविक उत्प्रेरक का काम किया। यह आंदोलन की लौ आठवीं शताब्दी में दक्षिण भारत से आरंभ हुई और पूरे उत्तर भारत की ओर फैल गई। यह 15वीं शताब्दी में पूर्व और उत्तर भारत में फैला इसने लगभग पूरे भारत पर अपना प्रभाव छोड़ा।
रविदास जयंती 2022 तिथि-
रविदास जयंती इस साल 16 फरवरी को है ।क्योंकि 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा है । पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 फरवरी 2022 को रात 09 बजकर 16 मिनट से और पूर्णिमा तिथि समाप्त 16 फरवरी को रात 1 बजकर 25 मिनट पर है।
संत गुरु रविदास के कुछ विशेष प्रचलित दोहे-
1. मन चंगा तो कठौती में गंगा-
दोहे का अर्थ है कि अगर आपका मन पवित्र है शुद्ध है तो साक्षात ईश्वर आपके हृदय में निवास करते हैं।
2. रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम।।
संत रविदास जी कहते हैं कि जिस हृदय में दिन-रात राम का नाम रहता है, ऐसा भक्त राम के समान होता है। राम नाम जपने वाले को न कभी क्रोध आता है और न ही उस पर काम भावना हावी होती है।
3. हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
दोहे का अर्थ है कि हरी के समान कीमती हीरे को छोड़कर अन्य की आशा करने वाले नरक को जाएंगे। यानी प्रभु की भक्ति को छोड़कर इधर-उधर भटकना सर्वथा व्यर्थ है।
रविदास जयंती पर आज मंदिर में प्रार्थना करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कहा- मेरी सरकार ने गुरु रविदास की भावना को आत्मसात किया है
पीएम नरेन्द्र मोदी 16 फरवरी, बुधवार को संत कवि रविदास की जयंती पर मंदिर में प्रार्थना करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुधवार को वे करोल बाग स्थित ‘श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर’ में सुबह नौ बजे जन कल्याण के लिए प्रार्थना करने जाएंगे। मंगलवार की शाम को उन्होंने बताया कि संत रविदास ने जातिवाद और छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरी सरकार ने हर कदम और योजना में गुरु रविदास की भावना को आत्मसात किया है और उनके सर्व कल्याण की भावना को पूरा करने के लिए काम कर रही है ।