Ukraine Russia Crisis: युक्रेन रूस के बीच चल रहे घमासान युद्ध और इसमें अमेरिका तथा पश्चिम के देशों का इंटरेस्ट ऐसा लगता है पूरे विश्व बर्बादी की ओर ले जा रहा है। पूरी दुनिया तबाही की स्थिति की ओर बढ़ रहे है। कल महाशिवरात्रि का त्योहार था। महाशिवरात्रि के अवसर पर दुनिया में चल रहे ऐसे विध्वंशक हालात के बीच आज हम बात करते हैं कि दुनिया और इसके बड़े बड़े शक्तिशाली देश और इसके नेता भगवान शिव से क्या सीख ले सकती है और विश्व को इस तबाही के मोड़ से शांति की ओर ले जा सकते हैं।
महाशिवरात्रि के मौके पर एक छोटा सा विश्लेषण हम कर रहे हैं कि दुनिया के विनाश में जुटे बड़े बड़े देश और उनके नेता भगवान शिव से क्या सीख सकते हैं। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वो विनाशक भी है और संरक्षक भी है और इसके साथ ही वो विष पीना भी जानते हैं। आज दुनिया के कितने ऐसे नेता होंगे जो मानवता को बचाने के लिए अहंकार का विष पीने की हिम्मत करेंगे। शिव पुराण में लिखा है कि आज है के दिन शिवरात्रि पर भगवान शिव प्रकट हुए थे। इसके साथ ही यह भी मानना है कि इसी दिन भगवान का शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ। भगवान शिव को विनाश का देवता भी माना जाता है। और आज जब दुनिया में विनाश की स्थितियां बन रही है और युक्रेन में रूस की सेना युद्ध लड़ रही है तब दुनिया भगवान शिव से क्या सीख सकती है आज इसकी एक चर्चा करेंगे।
Ukraine Russia Crisis युद्ध के बीच दुनिया भगवान शिव से क्या सीख सकती है :
आज भगवान शिव से दुनिया सीख सकती है कि कैसे असीम शक्तियां होते हुए भी उसका ग़लत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भगवान शिव की तीसरी आंख और उनका तांडव नृत्य पूरे संसार को एक क्षण में विनाश कर सकते हैं लेकिन भगवान शिव इन असीम शकियों का ग़लत प्रयोग नहीं करते। बल्कि उनको हमेशा अपने नियंत्रण में रखते है। क्या आज रूस और विश्व की दूसरी महाशक्तियां ऐसा कर सकती है? भगवान शिव ने विष धारण करना सिखाते हैं। देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने अपनी कंठ में विष धारण करके बताया कि दूसरों के लिए अपने जीवन को खतरे में डालने वाले ही असली नायक हैं। क्या आज रूस, युक्रेन में युद्ध को रोककर इस जहर को पीने के लिए तैयार होगा? क्या अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश अहंकार के जहर को पीने के लिए तैयार होंगे? यह आज बड़ा प्रश्न है और भगवान शिव संहार करने की शक्ति रखते हुए भी संतुलन और ध्यान में विश्वास रखते हैं क्योंकि एक शांत चित्त से ही आप सही निर्णय कर पाते हैं। दुनिया भर के नेता भगवान शिव से सबक लेते हुए संतुलित निर्णय लेना सीख सकते हैं और सोच सकते हैं कि क्या उनका अहंकार दुनियाभर के लाखों करोड़ों लोगों को जान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। रूस और युक्रेन के बीच युद्ध शुरू तो हो गया लेकिन रूस इस युद्ध को ख़तम कैसे करेगा ये सवाल आज पूरी दुनिया पूछ रही है। पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है ये कोइ नहीं समझ पाया ना तो दुनिया का को नेता समझ पाया ना ही किए पत्रकार समझ पाया इसीलिए पुतिन हर दिन दुनिया को नया सरप्राइज़ दे रहे हैं। रूस के सैन्य सिद्धांत में एस्क्लेट टू डिसलेट रणनीति का जिक्र किया गया है। माना जाता है कि यह सिद्धांत पुतिन ही रूस मे लेकर आए थे। जब वो रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव हुआ करते थे यह बात 1999 की है। इस रणनीति का मतलब है कि युद्ध को अचानक से इतना खतरनाक बना दो की दुनिया के सभी पक्ष शांति की बात करने पर मजबूर है जाएं। यह एक रणनीति हो सकती है और इस वक्त आप रूस युक्रेन युद्ध में आप देखेंगे कि इस रणनीति के तहत पारंपरिक युद्ध में जीत न मिलती देख कर रूस अब छोटे परमाणु हथियारों को इस्तेमाल कर सकता है जिन्हें टेस्टिकल न्यूकस कहते हैं। ये परमाणु हथियार आकार और क्षमता में छोटे होते हैं और दुश्मन की सेना को उतना ही नुकसान पहुंचते हैं जितने नुकसान की जरूरत होती है। रूस ऐसा करके पश्चिम के देशों को झुकने पर या बातचीत करने पर मजबूर कर सकता है।
ये पुतिन कि एक रणनीति हो सकती है । जो लोग पुतिन को अच्छी तरीके से जानते हैं वो समझते हैं कि पुतिन कि स्टाइल यही है कि पहले युद्ध को इतने खतरनाक मोड़ पर ले जाओ की पूरी दुनिया सहम जाए और तब उस खतरनाक मोड़ पर दुनिया को इतना डरा दिया जाए की दुनिया आपसे समझौता करने के लिए तैयार हो जाए। पहले एस्कलेट करो युद्ध को फिर डेसक्लेट करो फिर धीरे धीरे शांति वार्ता करके स्थिति को वापस अपनी नियंत्रण मे ले आया जाए। तो हो सकता है पुतिन इस बार भी ऐसा ही करने के मूड में हों।
उम्मीद करते हैं कि विश्व के शक्ति संपन्न देश और उनके नेता अच्छी समझ के साथ कुछ ऐसे निर्णय लेंगे जिससे युद्ध जल्द से रुके और यह तबाही का हमौल बदले । विश्व शांति के रास्ते पर चलने को अग्रसर हो। रूस, युक्रेन सहित यूरोप और पूरा विश्व समन्वय के साथ शांति और प्रगति की राह पर आगे बढ़े।